तुम हिंदुस्तान की रबड़ी सी, तुम पाकिस्तान की चटनी हो। तुम हवा में बहते भालू से, तुम कटरीना की पत्नी हो। तुम उलझा हुआ सा पानी हो, तुम अपने पति की नानी हो। तुम लंगड़ी सी इक तितली हो, तुम हाव में बहता पानी हो। मैं तकिया सा एक तुम्हारा हूं मैं तकिया सा एक […]
निरर्थक कविता I